पोप
Posted by amitabhtri पर सितम्बर 13, 2006
रेजनबर्ग,12 सितम्बर. पोप बेनेडिक्ट 16 ने यहाँ मंगलवार को इस्लाम और पश्चिम के मध्य सम्बन्ध जैसे नाजुक विषय पर बोलते हुये जिहाद या पवित्र युद्ध सम्बन्धी मुस्लिम अवधारणा में अन्तर्निहित हिंसा को तर्क और ईश्वर की योजना के विपरीत बताया. पोप ने बाइजैन्टाइन साम्राज्य के के 14वीं शताब्दी के शासक मैनुअल पालियोलोगस को उद्धृत करते हुये कहा, “ मुझे आप कुछ भी ऐसा दिखाइये जो मोहम्मद ने नया किया हो, और आप वहाँ बुराई और अमानवीयता ही पायेंगे, जैसे उनका आदेश कि तलवार के बल पर धर्म का विस्तार करो”. रेजनबर्ग के जिस विश्वविद्यालय में कभी राटजिंगर के नाम से अध्यापन कार्य करने वाले 79 वर्षीय पोप बेनेडिक्ट 1500 श्रोताओं के मध्य सुझाव दिया कि आज के युग की प्रमुख आवश्यकता संस्कृतियों और धर्मों के मध्य संवाद की है जिसमें तर्क के द्वारा ही सामान्य भूमि खोजी जा सकती है. इस्लाम के सम्बन्ध में यह तथाकथित टिप्पणी ईसाई और इस्लाम के पारस्परिक सम्बन्धों के संकट और उससे उत्पन्न हिंसा पर पोप की चिन्ता को प्रकट करती है. विश्लेषकों का मानना है कि पोप के इस बयान की तीखी प्रतिक्रया हो सकती है क्योंकि उन्होंने अपने बयान में इस्लाम के एक भाग को नहीं पूरे इस्लाम को निशाना बनाया है.
SHUAIB said
पोप को ऐसा नही कहना चाहिए था (दुनिया जानती है जिहाद के बारे मे) एक ऐसा इनसान जिसे चंद लोग अमन का फ्रिशता भी मानते हैं, ऐसे आदमी को किसी दूसरे के धर्म मे नुकता चीनी नही करनी थी। खैर दूसरे ही दिन उन्हों ने बयान देदिया के उनका कहने का मतलब वोह नही था जिस पर मुसलमान खफा हुए।