हरभजन सिंह पर प्रतिबन्ध के मायने
Posted by amitabhtri पर जनवरी 8, 2008
भारत और आस्ट्रेलिया के मध्य चल रही सीरीज में एक नाटकीय मोड- उस समय आया जब भारत के आफ स्पिनर हरभजन सिंह को आस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाडी एन्ड्रयु सायमंड्स के विरुद्ध नस्लभेदी टिप्पणी के आरोप में तीन टेस्ट मैचों के लिये प्रतिबन्धित कर दिया गया। टीम प्रबन्धन और भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने भी इस विषय को काफी गम्भीरता से लिया है, एक ओर जहाँ टीम प्रबन्धन ने तत्काल प्रेस कांफ्रेंस कर आई.सी.सी के निर्णय़ पर अपनी आपत्ति जताते हुए इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध अपील करने की घोषणा कर डाली तो वहीं भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने टीम को वापस बुलाने के विकल्प को खुला रखा। सिडनी टेस्ट में अम्पायरों के खराब निर्णय के बाद टेस्ट में मिली पराजय के सदमे से टीम इन्डिया उबर भी न पाई थी कि हरभजन सिंह पर लगे प्रतिबन्ध से टीम इन्डिया अन्दर तक हिल गयी। अब पूरे देश में एक ही माँग उठ रही है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड को टीम को तत्काल स्वदेश वापस बुला लेना चाहिये। निश्चित ही जिस प्रकार क्रिकेट को इस देश में एक धर्म का दर्जा दिया जाता है उसे देखते हुए हरभजन सिंह के साथ हुए व्यवहार को और सिडनी में हुई अम्पायरिंग को लोग राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ जोड्कर देख रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण में टीम प्रबन्धन और भारतीय क्रिकेट बोर्ड का आरोप है कि हरभजन सिंह के मामले में सुनिश्चित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ, आई.सी.सी ने सुनवायी के दौरान दोहरे मानदण्ड अपनाये। जहाँ आई.सी.सी ने आस्ट्रेलिया के दो खिलाडियों मैथ्यू हेडेन और माइकल क्लार्क की गवाही के आधार पर हरभजन सिंह को दोषी करार दे दिया वहीं भारत के खिलाडियों की गवाही को मान्यता नहीं दी गयी। इस एकतरफा निर्णय को आधार बनाकर टीम प्रबन्धन और क्रिकेट बोर्ड आई.सी.सी में अपील की तैयारी कर रहे हैं।
इन सभी सवालों के मध्य एक और बात की ओर हमारा ध्यान नहीं गया है और वो यह कि जो आरोप हरभजन सिंह पर लगाये गये हैं वह आरोप नस्लभेदी टिप्पणी का है। यह वह आरोप है जो पहली बार किसी भारतीय पर लगाया गया है। भारत वह देश है जो सभी राजनीतिक और कूटनीतिक मामलों में नस्लभेद का विरोध करता रहा है यदि ऐसे देश के किसी प्रतिनिधि पर नस्लभेदी टिप्पणी करने का आरोप लगा है तो निश्चित रूप से यह कूट्नीतिक विषय भी बनता है और इस विषय में भारत सरकार को भी दखल देना चाहिये। भारत सरकार को चहिये कि वह इस विषय पर एक स्वतंत्र जांच कराये और यदि इन आरोपों को आधारहीन पाया जाये तो आस्ट्रेलिया से इसकी शिकायत कूटनीतिक स्तर पर की जाये। भारत के किसी खिलाडी पर लगाया यह आरोप भारत की प्रतिष्ठा पर एक धब्बा है जिसे पूरी गम्भीरता से धुलने की आवश्यकता है।
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