हिंदू जागरण

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कांग्रेस को भारी पड सकती है हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा

Posted by amitabhtri on अक्टूबर 26, 2008

यह कोई संयोग है या फिर सोचा समझा प्रयास कि जिस दिन सेंसेक्स इतना नीचे चला गया कि शेयर बाजार में छोटा निवेश करने वालों की दीपावाली अभिशप्त हो गयी और प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, आर.बी.आई के गवर्नर के तमाम आश्वासनों के बाद भी शेयर बाजार के गिराव थमा नहीं और सर्वत्र हाहाकार मच रहा था कि अचानक महाराष्ट्र के एण्टी टेररिस्ट स्क्वेड ने 29 सितम्बर को मालेग़ाँव में हुए बम विस्फोट की गुत्थी सुलझा लेने का दावा करते हुए इस मामले में पहली बार किसी हिन्दू को गिरफ्तार किया। आतंकवादी घटना में हिन्दू की गिरफ्तारी उतनी चौंकाने वाले नहीं है जितनी उसकी टाइमिंग। अभी कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय कैबिनेट की एक विशेष बैठक आयोजित कर बजरंग दल पर प्रतिबन्ध लगाने की चर्चा की गयी और पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में सरकार के अनेक घटक दलों की जबर्दस्त माँग के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पायी। इसके बाद राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलायी गयी और उस बैठक में साम्प्रदायिकता को विशेष मुद्दा बनाया गया और बैठक में कुछ सदस्यों ने बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग दुहरायी। राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक से पूर्व लेखक ने बैठक के पीछे छुपी मंशा पर सवाल उठाये थे।

वास्तव में देश में बढ रहे इस्लामी आतंकवाद को लेकर जिस प्रकार एक ऐसा माहौल बन रहा है कि उसमें घटनायें करने वाले मुस्लिम ही हैं तो ऐसे में सेकुलरिज्म का दम्भ भरने वाले राजनीतिक दलों के सामने यह गम्भीर प्रश्न खडा हो गया है कि वह इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध इस लडाई को सेकुलर सिद्दांतों के दायरे में रह कर कैसे लडें? दूसरा धर्मसंकट इन दलों के समक्ष मुस्लिम वोटबैंक है। 2006 में जब मुम्बई में लोकल रेल व्यवस्था को निशाना बनाया गया था और बडी संख्या में मुम्बई की मुस्लिम बस्तियों और मुस्लिम उलेमाओं को पुलिस ने निशाने पर लिया था और पूछताछ की थी तो मुस्लिम नेताओं, बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं ने मिलकर संसद भवन में एनेक्सी में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन का आयोजन किया और केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आतंकवाद के नाम पर इस्लाम को बदनाम करने और निर्दोष मुसलमानों को फँसाने की प्रवृत्ति की आलोचना की और सरकार से आश्वासन लिया कि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर मुस्लिम भावनाओं का आदर करेगी। यह पहला अवसर था जब भारत के स्थानीय मुस्लिम समाज की भूमिका आतंकवादी घटनाओं में सामने आयी थी। इसके बाद से आतंकवाद को लेकर सेकुलरिज्म के सिद्धांतों के अनुपालन और संतुलन साधने के प्रयासों के तहत हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित कर एक नयी अवधारणा स्थापित करने का प्रयास आरम्भ हो गया। यदि 2006 के बाद हुई आतंकवादी घटनाओं के पश्चात सेकुलरपंथी राजनेताओं और राजनीतिक दलों के बयानों पर दृष्टि डाली जाये तो स्पष्ट होता है कि अनेक बार आतंकवादी घटनाओं की निष्पक्ष जाँच और हिन्दू संगठनों के षडयंत्र का कोण भी इनके बयानों में आने लगा। इसी के साथ अनेक मुस्लिम संगठन तो खुलकर कहने लगे कि ऐसे आतंकवादी आक्रमण हिन्दू संगठनों द्वारा इस्लाम को बदनाम करने के लिये प्रायोजित किये जा रहे हैं।

जैसे-जैसे देश में आतंकवादी आक्रमण बढते रहे आतंकवाद के विरुद्द कार्रवाई में सेकुलरिज्म के सिद्धांत का पालन करने के लिये और संतुलन साधने के लिये हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित किया जाने लगा। यही नहीं तो इस्लामी आतंकवाद के समानान्तर एक हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा को पुष्ट करने के लिये हिन्दूवादी संगठनों के एक व्यापक नेटवर्क की बात की जाने लगी जो सुनियोजित ढंग से आतंकवाद फैलाने के लिये उसी प्रकार कार्य कर रहे हैं जैसे सिमी या अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठन। इसके लिये देश के कुछ जाने माने टीवी चैनलों ने तो प्रचार का एक अभियान चलाया है और अपनी झूठी और खोखली दलीलों के द्वारा सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि हिन्दूवादी संगठनों के प्रयासों से देश में आतंकवाद का एक नेटवर्क चल रहा है जिसमें महाराष्ट्र का एक सैन्य स्कूल बम बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है। सीएनएन- आईबीएन ने कुछ दिनों पहले इसे खोजी पत्रकारिता का नाम देकर कुछ वर्षों पूर्व नान्देड में हुए बम विस्फोट से लेकर पिछले माह कानपुर में हुए बम विस्फोट तक पूरे घटनाक्रम को एक सुनियोजित नेटवर्क का हिस्सा बताकर हिन्दू आतंकवाद को मालेगाँव से पहले ही पुष्ट कर दिया था।

मालेग़ाँव के मामले में एक साध्वी सहित कुछ लोगों की गिरफ्तारी के मामले पर भी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के समाचार चैनल पर जिस तरह समाचार से अधिक कांग्रेस का एजेण्डा चलाया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि यह पूरा मामला केवल जाँच एजेंसियों तक सीमित नहीं है और इसे लेकर एक प्रकार का प्रचार युद्ध चलाया जा रहा है। जिस प्रकार न्यूज 24 ने साध्वी की गिरफ्तारी के साथ ही चैनल पर हिन्दू आतंकवाद बनाम इस्लामी आतंकवाद की बहस चलायी और सभी समाचार चैनलों मे अग्रणी भूमिका निभाकर स्वयं ही न्यायाधीश बन कर फैसला सुना दिया उससे स्पष्ट है कि यह पूरा खेल कांग्रेस के इशारे पर हो रहा है।

एंटी टेररिस्ट स्कवेड अभी तक जिन तथ्यों के साथ सामने आया है उस पर कुछ प्रश्न खडे होते हैं। आखिर अभी तक साध्वी और उनके साथ गिरफ्तार लोगों के ऊपर मकोका के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया है और यह मामला भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत ही क्यों बनाया गया है जबकि आतंकवादियों के विरुद्ध मकोका के अंतर्गत मामला बनता है। इससे स्पष्ट है कि संगठित अपराध की श्रेणी में यह मामला नहीं आता। आज एक और तथ्य सामने आया है जो प्रमाणित करता है कि मालेगाँव विस्फोट में आरडीएक्स के प्रयोग को लेकर महाराष्ट्र पुलिस और केन्द्रीय एजेंसियों के बयान विरोधाभासी हैं। महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि वह घटनास्थल पर पहले पहुँची इस कारण उसने जो नमूने एकत्र किये उसमें आरडीएक्स था तो वहीं महाराष्ट्र पुलिस यह भी कहती है कि विस्फोट के बाद नमूनों के साथ छेड्छाड हुई तो वहीं केन्द्रीय एजेंसियाँ यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि इस विस्फोट में आरडीएक्स का प्रयोग हुआ उनके अनुसार इसमें उच्चस्तर का विस्फोटक प्रयोग हुआ था न कि आरडीएक्स। इसी के साथ केन्द्रीय एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मालेग़ाँव और नान्देड तथा कानपुर में हुए विस्फोटों में कोई समानता नहीं है। अर्थात केन्द्रीय एजेंसियाँ इस बात की जाँच करने के बाद कि देश में हिन्दू आतंकवाद का नेटवर्क है इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण नहीं जुटा सकी हैं। अब क्या सीएनएन-आईबीएन अपने दुष्प्रचार के लिये क्षमा याचना करेगा?

साध्वी के मामले में एटीएस के अनेक दावे कमजोर ही हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार और केंन्द्र सरकार की रुचि इस विषय़ में अधिक थी कि मालेगाँव विस्फोट के तार किसी न किसी प्रकार हिन्दूवादी संगठनों से जुडें और यह सिद्ध किया जा सके कि ये संगठन आतंकवाद का एक नेटवर्क चला रहे हैं और इसी आधार पर इन संगठनों को प्रतिबन्धित कर मुस्लिम समाज को यह सन्देश दिया जा सके कि हमें आपकी चिंता है और हम आतंकवाद को लेकर संतुलन की राजनीति करते हुए सेकुलरिज्म के सिद्धांत का पालन कर रहे हैं। यह अत्यंत हास्यास्पद स्थिति सरकार और जाँच एजेंसियों के लिये है कि वे अब तक साध्वी और उनके साथियों को लेकर आधे दर्जन से अधिक संगठनों के नाम गिना चुके हैं परंतु अभी तक एक भी ऐसा ठोस प्रमाण सामने नहीं ला सके हैं कि इन संगठनों का आतंकवादी गतिविधियों में कोई हाथ है। पहले हिन्दू जागरण मंच का सदस्य बताया गया, फिर दुर्गा वाहिनी, फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद , फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने वाला बताया गया अब पुलिस कह रही है कि इन्होंने अलग संगठन बनाया था। एटीएस ने भोपाल और ग्वालियर में सभी सम्बन्धित संगठनों के लोगों से पूछताछ की जो साध्वी के निकट थे परंतु अभी तक पुलिस को ऐसा कोई साक्ष्य हाथ नहीं लगा है जो यह सिद्ध कर सके कि हिन्दूवादी संगठन आतंकवाद का प्रशिक्षण देते हैं या फिर आतंकवादी नेटवर्क चला रहे हैं।

एटीएस ने साध्वी और उनकी तीन साथियों को इस आधार पर गिरफ्तार किया है कि विस्फोट में प्रयुक्त हुई मोटरसाइकिल साध्वी के नाम थी और साध्वी ने विस्फोट से पूर्व साथी आरोपियों के साथ करीब सात घण्टे मोबाइल पर बात की थी जो कि प्रमाण है। अब ये प्रमाण कितने ठोस हैं इसका पता तो न्यायालय में चार्जशीट दाखिल होने पर लग जायेगा। लेकिन इस पूरे अभियान से एक बात निश्चित है कि हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित करने का प्रयास कांग्रेस उसके सहयोगी दल और उसके सहयोगी टीवी चैनल ने किया है और इस प्रचार युद्ध में अपनी पीठ भले ही ठोंक लें परंतु जिस प्रकार आतंकवाद की लडाई को कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने भोथरा करने का प्रयास किया है वह अक्षम्य अपराध है।

कांग्रेस के लिये मीडिया प्रबन्धन करने वालों के लिये यह एक बुरी खबर है कि ब्लाग पर या विभिन्न समाचार पत्रों में इस घटना पर टिप्पणी करने वालों का तेवर यह बताता है कि इस विषय पर युवा और बुद्धिजीवी समाज जिस प्रकार ध्रुवीक्रत है वैसा पहले कभी नहीं था। कांग्रेस शायद अब भी एक विशेष मानसिकता में जी रही है जहाँ उसे लगता है कि देश उसके बपौती है और देशवासियों के विचारों पर भी उसका नियंत्रण है। इसी भावना के बशीभूत होकर कांग्रेस के एक बडे नेता के न्यूज चैनल न्यूज 24 पर आतंकवाद पर बहस के दौरान कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी बार बार बासी तर्क दे रहे थे कि स्वाधीनता संग्राम में कांग्रेस का योगदान रहा है और कुछ दल विशेष अंग्रेजों का साथ दे रहे थे। यह तर्क सुनकर हँसी ही आ सकती है कि एक ओर तो कांग्रेस के राजकुमार तकनीक और युवा भारत की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता अब भी स्वाधीनता पूर्व मानसिकता में जी रहे हैं। आज सूचना क्रांति के बाद लोगों को यह अकल आ गयी है कि वे वास्तविकता और प्रोपेगेण्डा में विभेद कर सकें। 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की गिरती इमारतों के बाद समस्त विश्व में इस्लामी आतंकवाद को लेकर जो बहस चली है उसके बाद किसी भी युवक को यह बताने की आवश्यकता नहीं है को आतंकवाद का धर्म, स्वरूप और उसकी आकाँक्षायें क्या है? आज शायद कांग्रेस और उसके सहयोगी भूल गये हैं कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 30 या उससे नीचे आयु की है और उसने 1990 के दशक के परिवर्तनों के मध्य अपनी को जवान किया है। उसने आर्थिक उदारीकरण देखा है, सूचना क्रांति के बाद विश्व तक अपनी पहुँच देखी है, उसने कश्मीर से जेहाद के नाम पर भगाये गये हिन्दुओं की त्रासदी देखी है और देखा है राम जन्मभूमि आन्दोलन जिसने भारत की राजनीति की दिशा बदल दी।

आज वही पीढी निर्णायक स्थिति में है जिसके विचार अपने से पहली की पीढी के बन्धक नहीं है। इस पीढी ने अपनी पिछली पीढी के विपरीत सब कुछ अपने परिश्रम से खडा किया है और इसलिये उसे स्वयं पर भरोसा है और वह व्यक्ति के विचारों के आधार पर उसका आकलन करती है न कि किसी खानदान का वारिस होने के आधार पर।

समाज में जो मूलभूत परिवर्तन हुआ है उसके प्रति पूरी तरह लापरवाह कांग्रेस और उसके सेक्यूलर सहयोगी हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित कर इसका आरोप हिन्दू संगठनों पर मढना चाहते हैं परंतु शायद वे लोग भूल जाते हैं कि हिन्दुत्व का विचार केवल किसी संगठन तक सीमित नहीं है। इसका सीधा सम्बन्ध युवा भारत के सपने से है। आज देश विदेश में ऐसे लोगों की संख्या अत्यंत नगण्य है जो इस्लामी आतंकवाद को संतुलित करने के लिये हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा का समर्थन करेंगे। इसका उदाहरण हमें पिछले गुजरात विधानसभा में मिल चुका है जब कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी द्वारा गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर कहने और कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा हिन्दू आतंकवाद की बात करने के कारण इस पार्टी को मुँह की खानी पडी। एक बार फिर चुनावों से पहले कांग्रेस हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा को सृजित कर रही है। क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि देश में हिन्दुओं का एक बडा वर्ग है जो उसकी सेक्युलरिज्म की परिभाषा से सहमत है। कांग्रेस ऐसे हिन्दुओं और मुसलमानों को साधने के प्रयास में एक खतरनाक खेल खेल रही है जिसका परिणाम देश में साम्प्रदायिक विभाजन के रूप में सामने आयेगा।

मालेगाँव विस्फोट को लेकर जाँच एजेंसियाँ तो अपना कार्य कर रही हैं और शीघ्र ही सत्य सामने आ जायेगा परंतु जिस प्रकार कांग्रेस इस्लामी लाबी के दबाव में आकर कार्य कर रही है वह देश के भविष्य़ के लिये शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि हिन्दू आतंकवाद की बात करके कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भले ही अस्थाई तौर पर प्रसन्न हो लें परंतु अभी बहस में अनेक प्रश्न उठेंगे और सेक्युलरिज्म का एकांगी स्वरूप, मानवाधिकार संगठनों का अल्पसंख्यक परस्त चेहरा भी बह्स का अंग बनेंगे।

7 Responses to “कांग्रेस को भारी पड सकती है हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा”

  1. KM Thackar said

    It is surprising to see that above contents are remarkably concides with my veiws.

  2. chanakya said

    Jis baat se sara hindu samaj chintit tha, vah kasar SADHVI PRAGYA SINGH THAKUR ne puri kar di hai. Sara Hindu samaj isase bahut khus aur utasaahit hai. Hinduon ko kayar samajha gaya, Congress ke netaon ne samajh liya tha, ki Hindu to maha Kayar hai, ye khud apani jaan bachane ki phikar mein rahate hain, ye kya khakar dusare ki jaan lenge, is mithya bhram ko SADHVI ne pura kar diya. HAME GARV HONA CHAHIYE PRAGYA BHARATI PAR, ISALIYE KI NARI HOKAR USANE ITANA BADA KAAM KIYA AUR HINDU SAMAJ KO NAYA RASTA SUJHAYA KI HAM KISI SE KAM NAHIN HAIN, HAMASE JO TAKARAYEGA , USAKO SAU BAR SOCHANA HOGA, aisi soch rakahane walon ka , jo Hindu samaj par pad rahe thapedon se hinduon ko bachahye. Behatar hota, Hindu AAtma ghati daste bhi banaye. Jab Miyan log 10 ya 15 Lakh dekar Atmaghati daste bana sakatey hain , to hindu kyon nahin ? Hinduon me kitane bekar hain jinake paas koi kaam nahin hai, aise navajawan phansi lagakar mar rahe hain,AAtma hatya kar rahe hain, isase achcha hai ki ve koi hindu samaj ke liye misal kayam kar jayein, Hinduon ko jarurat bhi hai, aatmaghati dasta banane ki.

  3. दो जन हैं इस देश में, बेटा और जमाई.
    हिन्दू माँ का लाल है, मुसलमान जमाई.
    मुसलमान जमाई, राजनीति कहती है.
    उसके सारे अपराधों पर चुप रहती है.
    कह साधक, अब नही चलेगा, पाप देश में.
    माँ के प्रिय बेटे का होगा मान देश में.

  4. sameer said

    congress Muslim ka use kar rahi ha 50 yrs na to mulium congress chdo rahi na Muslim congress ko chdo rahi hai kai Muslim kai ko pachati rak na mai hai congress ka failda hai

  5. Sanjay said

    abe election mein gaand phat gayi hai ab chup ho jaa gaandu.

  6. NATION BUILDERS said

    WHY MUSLIMS BREED LIKE COCKROACHES?

    Muslims in India have a much higher total fertility rate (TFR) compared to that of other religious communities in the country.[11] Because of higher birthrates and an influx of migrants from neighboring Bangladesh, the percentage of Muslims in India has risen from about 10% in 1991 to 13% in 2001.[12] The Muslim population growth rate is higher by more than 10% of the total growth compared to that of Hindus.[13] However, since 1991, the largest decline in fertility rates among all religious groups in India has occurred among Muslims.[14]
    Demographers have put forward several factors behind high birthrates among Muslims in India. religious determinism is the main reason for higher Muslim birthrates. Indian Muslims are poorer and less educated compared to their Hindu counterparts.[15] However, other sociologists point out that religious factors can explain high Muslim birthrates. Surveys indicate that Muslims in India have been relatively less willing to adopt family planning measures and that Muslim girls get married at a much younger age compared to Hindu girls.[16] According to Paul Kurtz, Muslims in India are much more resistant to modern contraceptive measures compared to Hindus and as a consequence, the decline in fertility rate among Hindu women is much higher compared to that of Muslim women.
    According to a high level committee appointed by the Prime Minister of India in 2006, by the end of the 21st century India’s Muslim population will reach 320 to 340 million people (or 18% of India’s total projected population).[18] Swapan Dasgupta, a prominent Indian journalist, has raised concerns that the higher Muslim population growth rate in India could adversely effect the country’s social harmony

  7. NATION BUILDERS said

    REAL HISTORY OF AYODHYA
    FROM WIKIPEDIA
    DEAR HINDUS
    When the Muslim emperor Babur came down from Ferghana in 1527, he defeated the Hindu King of Chittodgad, Rana Sangrama Singh at Sikri, using cannon and artillery. After this victory, Babur took over the region, leaving his general, Mir Baqi, in charge as viceroy.
    Mir Baqi allegedly destroyed the temple at Ayodhya, built by the Hindus to commemorateRama’s birthplace, and built the Babri Masjid, naming it after Emperor Babur.[9] Although there is no reference to the new mosque in Babur’s diary, the Baburnama, the pages of the relevant period are missing in the diary. The contemporary Tarikh-i-Babari records that Babur’s troops “demolished many Hindu temples at Chanderi”[10]
    Palaeographic evidence of an older Hindu temple on the site emerged from an inscription on a thick stone slab recovered from the debris of the demolished structure in 1992. Over 260 other artifacts were recovered on the day of demolition, and many point to being part of the ancient temple. The inscription on the slab has 20 lines, 30 shlokas (verses), and is composed in Sanskrit written in the Nagari script. The ‘Nagari Lipi’ script was prevalent in the eleventh and twelfth century.
    The first twenty verses are the praises of the king Govind Chandra Gharhwal (AD 1114 to 1154) and his dynasty. The twenty-first verse says the following; “For the salvation of his soul the King, after paying his obeisance at the little feet of Vamana Avatar (the incarnation of Vishnu as a midget Brahmana) went about constructing a wondrous temple for Vishnu Hari (Shri Rama) with marvelous pillars and structure of stone reaching the skies and culminating in a superb top with a massive sphere of gold and projecting shafts in the sky – a temple so grand that no other King in the History of the nation had ever built before.”
    It further states that this temple (ati-adbhutam) was built in the temple-city of Ayodhya.

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