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बेशर्म सेकुलरवादी

Posted by amitabhtri पर अक्टूबर 14, 2006

गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में रेल मन्त्री लालू प्रसाद यादव द्वारा गोधरा काण्ड की जाँच के लिये गठित की गई यू.सी.बनर्जी कमेटी के गठन को अवैध सिद्ध कर दिया है. लालू प्रसाद यादव रेलवे इन्क्वायरी एक्ट का नाम लेकर इस आयोग को गठित किया था. अपने गठन के आरम्भ से ही यह समिति राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित राजनीतिक सन्देश के एजेण्डे पर चल रही थी. आनन-फानन में इस समिति ने बिहार विधानसभा चुनावों से पहली अपनी रिपोर्ट देकर कुछ हास्यास्पद निष्कर्ष निकाले. यथा आग रेलगाड़ी में अन्दर से लगी थी. कारसेवकों के पास त्रिशूल थे इस कारण बाहरी हमलावरों का वे प्रतिरोध करते. यह निष्कर्ष स्वयं ही इस बात की पुष्टि करता है कि बनर्जी न्यायाधीश कम सेकुलरवादी राजनेता के रूप में अपनी जाँच कर रहे थे, अन्यथा उन्हें इतना तो पता होता कि कारसेवकों के पास रखा त्रिशूल कितनी प्रतिरोधक क्षमता का होता है.

                   बनर्जी ने अपनी अन्तरिम रिपोर्ट में फोरेन्सिक रिपोर्ट के अनेक तथ्यों की मनमाने आधार पर ब्याख्या कर गोधरा काण्ड को एक दुर्घटना सिद्ध कर दिया. अब बनर्जी आयोग के गठन को ही अवैधानिक बताकर गुजरात उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद सहित पूरे सेकुलरवादी खेमे की निष्पक्षता पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है.     

            स्वाभाविक है कि इस निर्णय के बाद बहस बनर्जी आयोग तक सीमित न रहकर सेकुलरवाद के चरित्र तक जायेगी. गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने लालू प्रसाद यादव के त्याग पत्र की माँग की है . उधर कांग्रेस ने इस निर्णय के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में जाने का संकेत देते हुये इस निर्णय को अन्तिम निर्णय न मानने का अनुरोध किया है. दोनों दलों के रूख से साफ है कि यदि भाजपा इसे सही ढंग से उठा पाई तो आने वाले दिनों में देश का राजनीतिक तापमान बढ़ सकता है.       परन्तु इन सबसे परे उच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद सेकुलरवाद की अवधारणा पर नये सिरे से बहस की आवश्यकता अनुभव हो रही है. बनर्जी आयोग का गठन और फिर उससे मनचाही रिपोर्ट प्राप्त कर लेना इस बात का संकेत है कि भारतीय राजनीतिक ढाँचा सेकुलरवाद के नाम पर मुसलमानों का बन्धक बन चुका है जहाँ प्रत्येक नियम, कानून या घटनाओं की ब्याख्या इस आधार पर की जाती है कि मुसलमानों को कितनी सुविधा रहे.                       

             जिस प्रकार 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर अयोध्या से श्रीराम का दर्शन कर वापस लौट रहे कारसेवकों को साबरमती रेलगाड़ी में जीवित जला दिया गया था वह हिन्दुओं के विरूद्ध इस्लाम के आक्रमण की सीधी घोषणा थी. कोई कल्पना कर सकता है कि हज यात्रियों को ला रही रेलगाड़ी में आग लगाकर 56 हजयात्रियों को जीवित जला देने के बाद मुस्लिम प्रतिक्रिया क्या होगी, या फिर भारत के राजनीतिक दलों का क्या रूख होगा. परन्तु गोधरा काण्ड के बाद देश के राजनीतिक दलों ने लीपा पोती शुरू की और बेशर्मी से अन्दर से आग लगी जैसे मिथक गढ़ कर आरोपियों को बचाने के साथ मुसलमानों को सन्देश दिया कि वे अपने अभियान में लगे रहें.    

             गोधरा काण्ड के बाद जिस तरह अन्दर से आग लगी अवधारणा विकसित कर उसे प्रचारित किया गया उससे सेकुलरवाद के नाम पर समस्त विश्व में मुसलमानों के समक्ष समर्पण की सामान्य प्रवृत्ति का संकेत मिलता है. बीते कुछ वर्षों में हमें अनेक ऐसे अवसर देखने को मिले हैं जब बड़ी इस्लामी आतंकवादी घटनाओं को वामपंथी-उदारवादी सेकुलर नेताओं और बुद्धिजीवियों ने मुसलमानों को उस घटना से अलग करते हुये विचित्र मिथक विकसित किये हैं. 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका पर हुये आतंकी हमले के बाद समस्त विश्व के वामपंथी-उदारवादी सेकुलरपंथियों ने इजरायल और अमेरिका की खुफिया एजेन्सियों को इसके लिये दोषी ठहराते हुये इन देशों पर अपने ही निवासियों को मरवाने का आरोप मढ़ दिया. आज प्रत्येक वामपंथी-उदारवादी और मुस्लिम बुद्धिजीवी  इस सिद्धान्त के पक्ष में अपने तर्क भी देता है, इसी प्रकार अगस्त महीने में ब्रिटेन में अनेक विमानों को उड़ाने के षड़यन्त्र के असफल होने पर विश्व भर में इसी लाबी ने प्रचारित किया कि यह अमेरिका और ब्रिटेन का षड़यन्त्र है ताकि लेबनान मे हो रहे अत्याचार से विश्व का ध्यान खींचा जा सके.    

                 इसी भावना से प्रेरित भारत स्थित वामपंथी-उदारवादी सेकुलर सम्प्रदाय के लोग भारत में होने वाले प्रत्येक आतंकवादी हमलों के बाद सुरक्षा बलों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुये हिन्दूवादी संगठनों को इन हमलों से जोड़ने का प्रयास करते हैं. संकेत साफ है कि समस्त विश्व में सेकुलरवाद की ब्याख्या और उसका प्रतिरोध एक ही प्रकार से हो रहा है.    सेकुलरवाद के नाम पर मुस्लिम समर्पण की इस प्रवृत्ति के विकास में उन बुद्धिजीवियों का बड़ी मात्रा में योगदान है जो अपने बुद्धि कौशल के बल पर हर बात में दक्षिण और वामपंथी खेमेबन्दी कर मुसलमानों को पीड़ित के रूप में चित्रित करते हैं.     आज पूरी दुनिया में इस्लाम की आक्रामकता और सेकुलरिज्म की खोखली अवधारणा से उसे मिल रहे प्रोत्साहन की पृष्ठभूमि में समस्त संस्कृतियाँ सेकुलरिज्म की पकड़ से बाहर आना चाहती हैं. यूरोप में सेकुलरिज्म के खोखलेपन ने ईसाइयत के समक्ष अपनी पहचान खोने का संकट खड़ा कर दिया है जहाँ ईसाई नवयुवक तेजी से इस्लाम में धर्मान्तरित हो रहे हैं. इसी प्रकार इजरायल वामपंथियों के प्रचार के समक्ष स्वयं को आक्रान्ता की छवि से मुक्त कर अपनी पीड़ा विश्व के समक्ष लाने को उद्यत है. ऐसे में सेकुलरिज्म की नये सिरे से व्याख्या किये जाने की पहल की जानी चाहिये ताकि इस सिद्धान्त के नाम पर मुसलमानों के समक्ष समर्पण की प्रवृत्ति पर अंकुश लगे और इस सिद्धान्त की आड़ में मुसलमानों को  समस्त विश्व पर शरियत का कानून लागू करने और कुरान थोपने के उनके अभियान से उन्हें रोका जा सके. 

6 Responses to “बेशर्म सेकुलरवादी”

  1. SHUAIB said

    बहुत बढिया – इतनी तफसील से जानकारी देने के लिए धन्यवाद

  2. I have two suggestions to make the post more readable –
    1. Increase font size in your post a little
    2. Write in paragraphs

    By the way, I also think that this secular government is equally communal, if not more.

  3. मैंने भी आपको कुछ सुझाव दिये थे लेकिन शायद आपको जरूरी नहीं लगे. एक बार फिर से कहना चाहुंगा की आपका चिट्ठा वर्डप्रेस पर हैं इसलिए अच्छा रहेगा आप अपनी पोस्ट का शिर्षक छोटा रखे या अंग्रेजी में रखे. आप फोंट साइज बढ़ा नहीं सकते इसलिए थीम बदल ले. आप लिखते समय पेरेग्राफ में लिखते हैं पर जब उसे वर्डप्रेस पर पेस्ट करते हैं तब वह एक लाइन में आ जाता हैं ऐसे में आप उसका संपादन कर वर्डप्रेस पर ही ठीक करें.

  4. अमित अग्रवाल said

    अरे भाई, यह बनर्जी आयोग के अध्यक्ष बनर्जी ही थे न, तो फिर ये बात तो शीशे की तरह शुरू से ही साफ है कि
    इसका निष्कर्ष यही होना था कि गोधरा के लिये केवल हिन्दू ही दोषी हैं। बनर्जी का मतलब बंगाल से
    बंगाली का मतलब केवल कम्युनिस्ट, (न काम करो न करने दो)
    कम्युनिज्म का मतलब हिन्दुओं का सफाया और मुसलमानों के समक्ष प्रत्यर्पण

  5. bhuvnesh said

    अरे भाई आयोग तो बनते इसीलिए हैं पर गुजरात हाईकोर्ट को एस बात के लिए बधाई देनी पड़ेगी कि उसने निष्पक्ष होकर इतना अच्छा निर्णय दिया। आपको भी बधाई।

  6. sanjaybengani said,
    मैंने भी आपको कुछ सुझाव दिये थे लेकिन शायद आपको जरूरी नहीं लगे. एक बार फिर से कहना चाहुंगा की आपका चिट्ठा वर्डप्रेस पर हैं इसलिए अच्छा रहेगा आप अपनी पोस्ट का शिर्षक छोटा रखे या अंग्रेजी में रखे. आप फोंट साइज बढ़ा नहीं सकते इसलिए थीम बदल ले. आप लिखते समय पेरेग्राफ में लिखते हैं पर जब उसे वर्डप्रेस पर पेस्ट करते हैं तब वह एक लाइन में आ जाता हैं ऐसे में आप उसका संपादन कर वर्डप्रेस पर ही ठीक करें.

    वर्ड-प्रेस की सारी थीम ऐसी नहीं हैं, मुझे भी इसी प्रकार शुरू मे दिक्कत आयी थी लेकिन अब मै जो थीम प्रयोग कर रहा हूँ, उसमें सब कुछ ठीक चल रहा है।

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