हिंदू जागरण

हिंदू चेतना का स्वर

हिन्दू पर्व रक्षाबन्धन

Posted by amitabhtri पर अगस्त 9, 2006

विश्व में हिन्दू संस्कृति एकमात्र ऐसी संस्कृति है, जहाँ भाई और बहनों के लिये भी पर्व है. रक्षाबन्धन को सामान्य भाषा में राखी के नाम से भी जाना जाता है. वास्तव में रक्षाबन्धन और राखी एक ही पर्व के अलग-अलग नाम हैं. फिर भी इन दोनों में एक सूक्ष्म अन्तर है.     रक्षाबन्धन हमें अपनी प्राचीन परम्परा से जोड़ता है जबकि राखी इस पर्व का मध्यकालीन रूपान्तरण है.      हमारी ऐतिहासिक परम्पराओं और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के आरम्भ से जुड़ी अनेक दन्तकथायें हैं परन्तु सभी कथाओं में एक आम सहमति है कि रक्षासूत्र कलाई मे बाँधकर रक्षा का वचन लिया जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार देवासुर संग्राम में जब इन्द्र असुरों के विरूद्ध युद्ध में मिल रही पराजयों से हताश हो गये तो उनकी पत्नी शची ने  मन्त्रों से दीक्षित  एक रक्षासूत्र उनकी कलाई में बाँध दिया और इस रक्षासूत्र के प्रभाव से देवता असुरों के विरूद्ध विजय प्राप्त करने में सफल रहे.   इसी प्रकार ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार राजगुरू समस्त प्रजा की ओर से राजा की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधकर उससे समस्त प्रजा की रक्षा का आश्वासन लेता था. श्रावण मास में मनाया जाने वाले इस पर्व ने राखी का स्वरूप मध्यकालीन काल में उस समय ग्रहण किया जब मुस्लिम आक्रान्ताओं की कुदृष्टि से बालिकाओं को बचाने का गुरूतर दायित्व भाईयों के कन्धों पर आन पड़ा.      मध्यकालीन युग में रक्षाबन्धन के राखी का स्वरूप ग्रहण कर भाई-बहनों के पर्व के रूप में परिवर्तित होने का उदाहरण हमारे पास है जब रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर उनसे सहायता माँगी थी. इस कथा से स्पष्ट होता है कि मध्यकाल में राखी का पर्व भाई-बहनों के पर्व के रूप में प्रचलित हो चुका था.

2 Responses to “हिन्दू पर्व रक्षाबन्धन”

  1. बहुत दिन चुना है आपने नये चिठ्ठे का. स्वागत है आपका हिंदी चिठ्ठाकारी में.

  2. “रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर उनसे सहायता माँगी थी.”
    इसे कुछ अज्ञानी लोग रक्षाबन्धन के शुरू होने का कारण भी मानते हैं, जब की रक्षाबन्धन महाभारतकाल से पहले भी मनाया जाता हैं. द्रोपदी ने कृष्ण को राखी बान्धी थी.
    हुमायु वाला किस्सा मनघड़ंत ज्यादा लगता हैं, विवादास्पद घटना हैं यह.

टिप्पणी करे